“अपने दिल के बाजार: प्रसन्नता की खोज”

खुशियों की खोज में भटका बाजारों में,
पर कहीं नहीं मिली, वह अमूर्त प्रसन्नता।
चमकती दुनिया के बाजार में हैं बहुत,
पर सच्ची सुख-शांति, अंदर ही छुपी है मतवाली।
धूप-छाँव की खोज में भटका बाजारों का सफर,
पर खोजा सिर्फ खाली दिखावे में, मिली नहीं बहुत बरसाती रिमझिम।
अपने ही अंदर बसी है वह आनंदमयी मुस्कान,
जो दुनिया के बाजारों में नहीं, वहाँ अपने दिल के संग मिलती स्वर्ग सुख-शांति की बहार।

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