अवसादित जीवन की आवाज: एक ओजस्वी कविता” Business and Industry — · 0 Comment Post Views: 76 जीना बिना लक्ष्य के, वह अजीवन सा आवास, साहित्य बिना प्रेम के, थमा रहे अध्यान का विलास। समाज जहाँ नारी को, छूने न पाए सम्मान का स्वाद, ग्रंथ जो हैं अंधकार में, मार्गदर्शन से रौंगत न बदले रात्रि का वाद।