इतवार व्रत कथा

इतवार व्रत कथा
कहीं बहुत पुराने समय की बात है, एक गाँव में एक नामी भक्त रहता था जिसका नाम सुधीर था। सुधीर भगवान सूर्य देव के अच्छूत प्रेमी थे और हमेशा उनकी पूजा-अराधना में मग्न रहते थे।
एक दिन, सुधीर को गाँव में आर्थिक समस्या से निराश होते हुए एक पुराने साधु ने उन्हें सुना। साधु ने सुधीर से कहा, “तुम इतवार को सूर्य देव की पूजा करो, और उनकी कृपा से तुम्हारी समस्याएं हल होंगी।”
सुधीर ने साधु की सलाह मानी और हर सप्ताह में इतवार को सूर्य देव की पूजा में लगने लगे। उन्होंने प्रतिवर्ष इतवार को अपनी पूजा को विशेष रूप से मनाया और सूर्य देव के चरणों में अपनी भक्ति का अर्पण किया।
इतवार के व्रत में सुधीर ने अपनी समस्याएं और दुःखों को भगवान के सामंजस्य से साझा किया और उनसे मदद की बिनती की। उनकी श्रद्धा और आत्मसमर्पण ने उन्हें भगवान के सानिध्य में ले आया।
इतवार के व्रत के बाद, सुधीर की समस्याएं एक-एक करके दूर हो गईं। सूर्य देव की कृपा से उनके जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति हुई और उनका आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
एक इतवार को, जब सुधीर सूर्य देव की पूजा कर रहे थे, भगवान सूर्य खुद प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा, “तुम्हारी निष्ठा और भक्ति ने मेरी भावनाओं को हिला दिया है। मैं तुम्हें धन, समृद्धि, और सुख-शांति के साथ आशीर्वाद देता हूँ।”
इसके बाद से सुधीर का जीवन सुख-शांति से भरा रहा और उनका आर्थिक स्थिति में सुधार हो गया। वह गाँववालों को भी अपनी कृपा में शामिल करते हुए समृद्धि की ओर बढ़ते गए।
इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि इतवार के व्रत से भगवान सूर्य देव की कृपा प्राप्त हो सकती है, और जीवन की कठिनाइयों में सुधार हो सकता है। यह व्रत दिनचर्या में संतुलन और धार्मिकता को बढ़ावा देता है।

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