इलाका एक छाया हुआ कोना है,
रातों की चुप्पी, दिन की रौंगत है।
यहाँ हर कदम, कहानी सुनाता है,
पेड़ों की बातें, हवा की कहानियाँ हैं।
गलीयों में बसी है सिर्फ बैराग,
सड़कों की गहराईयों में बसा अपना सफर।
यहाँ हर रोज़, एक नई कहानी रचता है,
इलाका है नहीं, यहाँ तो एक जहाँ है।