कार्य से स्वभाव तक: एक सत्य यात्रा

कार्य का संग, स्वभाव बनता है,
स्वभाव से, चरित्र साकार होता है।
चरित्र का पुनः बोना, भाग्य को पाएं,
यह सत्य रहा, विचारों में बहाएं।
सुबह की किरण, इस तत्व में छुपी,
कार्यों की बूंदें, स्वभाव में बदलती।
संसार का रंग, चरित्र से ही निकले,
यह विचार गहरा, जीवन को संवरे।
बोएं कार्य को, पाएं स्वभाव का रंग,
सुनो इस संगीत को, सत्य है यह विचार।

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