काशी के गलियों में हंसी का संगम,
व्यंग के साथ, बनता है हस्य का समां।
पंडितों की भी रहती है यहाँ मजेदार बातें,
विद्या का ज्ञान है, पर हंसी है उसकी बातें।
गंगा के किनारे बसी हुई यह नगरी,
हंसी के आंगन में बजती है यहाँ दुनिया की शोरी।
धरोहरों का शहर, पर हंसी का राजा,
काशी का हर दिल है हंसी के आलसी दीवाना।