गुरुवार व्रत कथा

गुरुवार व्रत कथा
कहीं बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक नामी भक्त रहता था जिसका नाम राजू था। राजू भगवान विष्णु के प्रेमी थे और हमेशा उनकी पूजा-अराधना में मग्न रहते थे। वह गुरुवार का व्रत भी रखते थे, लेकिन उन्हें बहुत दिनों से संघर्ष और संघर्षों का सामना कर रहा था।
एक दिन, राजू ने गुरुवार के दिन अपनी मुख्या के साथ गुरुकुल में गया और गुरुदेव से अपनी समस्या बताई। गुरुदेव ने राजू को आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम गुरुवार को विशेष भक्ति और श्रद्धा के साथ व्रत रखो, तुम्हारी समस्याें हल होंगी।”
राजू ने गुरुदेव की सिखों का पालन करते हुए गुरुवार को विशेष रूप से मनाने का निर्णय किया। उन्होंने गुरुवार को व्रत में पूरी आत्मसमर्पण के साथ बिताया और भगवान विष्णु की पूजा में लगे रहे।
गुरुवार के व्रत में राजू ने अपने सभी दुःखों को भगवान के सामंजस्य से साझा किया और उनसे मदद की बिनती की। उनकी श्रद्धा और आत्मसमर्पण ने उन्हें भगवान के सानिध्य में ले आया।
गुरुवार के व्रत के बाद, राजू की समस्याएं एक-एक करके दूर हो गईं। उनका जीवन पुनः सुख-शांति से भर गया। वह गुरुदेव की शिक्षाओं का पालन करते हुए अपने जीवन को धार्मिकता, भक्ति, और सेवा के माध्यम से महत्वपूर्ण बना दिया।
इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि गुरुवार का व्रत भक्ति, श्रद्धा, और आत्मसमर्पण से भरा होता है, जिससे आपके जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

©2025 SAIWEBS WordPress Theme by WPEnjoy