जख्मों की कहानी, दिलों की जुबानी,
रातें लम्बी, दर्द से सजीव हर पानी।
खुलता रहा वक़्त, छूने को था जो दिल,
जीवन की राहों में, छोड़ा गया एक सिलसिल।
अंधकार में छुपा, एक छोटा सा सवाल,
जख्म बना कहानी, सुनाए रात भर का मलाल।
बिछाए थे सपने, जिन्हें चुराने लगा दर्द,
आँसुओं का हार में, सहमी रातों में कर्द।
मिटा ना सका उसे, लगता रहा जीवन सारा,
जख्म बदला ना रंग, जीवन की रेखा सारा।
पर फूल खिला एक दिन, जख्म की गहराईयों में,
आशा का सूरज, रोशनी बिखराया हैं उसकी चेहरे पर।
जख्मों की कहानी, सीख बनी हर छलाँग,
दर्द का हो जवाब, साहित्य में बनी एक सांग।