पत्र: भावनाओं की संध्या

शब्दों की नृत्यरंगीनी, पत्रों में बसी,
स्याही के जादू में, भावनाएँ कहीं बसी।
कागज़ के कैनवास पर, कहानियाँ हो जाती हैं,
अजनबी दस्तक, पत्रों में रूपाँतरित हो जाती हैं।
खत्तरों की छाया, राज़ों का पर्दा,
सुलगते रहे आसपास, इन खतों का वातावरण।
कलम की मिठास, स्वर में धुन,
पत्रों में दिलों की बातें, बिना हिचके सबको सुनाई जाती हैं।
रितम्भ में खोई एक हस्ती, हसरत और प्यार की कहानी,
पत्रों में बसी राज़शी, जो हमेशा दिलों को बहुत आकर्षित करती है।

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