प्रातः Business and Industry — · 0 Comment Post Views: 67 प्रातः की सुरमई धूप में, खोया है सपनों का संग। फूलों की मिसाल बोलती, सुबह की मिठास के रंग। चिट्ठी लिखी हवा की जुबान, सुनता है हर एक शैतान। चिरपिंग बर्ड्स की मेलोदी, बजती है सबको जागा देने।