बाटी चौखा की खुशबू, बनारस की छायाओं में,
छत पर बैठे, बाबु, मोना, और नवीन के संग।
बासों की चाया में, धूप की छाँव में,
संगीत की ताल में, हर दिल की दहलीज़ में।
बनारस के रंग, गलियों की मिठास,
जैसे खुलता है सुबह, वैसी है खास।
छत पर बैठकर, सुनते हैं कहानियाँ,
बाबु, मोना, नवीन, सब कुछ है मधुरितम।
बासों की चाया में, बढ़ाता है दोस्ती का संबंध,
खुदाया रहे सभी को, इस सुखद पल की संगीत।
रविवार की शाम, लेकर आता है संयोजन,
बाटी चौखा का स्वाद, बनारस का रंग।
चाहे बातें हों हंसी भरी, या गहरी बातें,
ये संगीत की ताल में, होता है अलग मौसम।
बाटी चौखा के साथ, है बनारस की छायाओं में,
बाबु, मोना, नवीन, सब कुछ है सुखद संबंध में।
बने रहे दोस्ती, रंग-बिरंगी छाँव में,
रविवार की शाम, बनी ये यादें बहुत मिठास भरी।