बुधवार व्रत कथा

बुधवार व्रत कथा
कई साल पहले की बात है, एक गाँव में एक नौकरानी रहती थी जिसका नाम सुमति था। वह बहुत ईमानदार और परमात्मा में विश्वासी थी। उसकी समस्या यह थी कि वह अपनी बालिकाओं की शादी के लिए सही रिश्ते नहीं ढूंढ पा रही थीं।
एक दिन उसने अपने समस्या को लेकर गाँव के पुजारी से संवाद किया। पुजारी ने उससे कहा, “तुम हर बुधवार को बुधवार व्रत करो। भगवान बुध की कृपा से तुम्हारी समस्या का समाधान होगा।”
सुमति ने पुजारी की सुनी और हर बुधवार को व्रत रखने का निर्णय किया। वह निष्ठा भक्ति और पूर्वकृत पुण्य के साथ बुधवार व्रत मनाने लगी।
व्रत का पालन करते हुए उसने भगवान बुध की पूजा में अपना मन, वचन, और क्रिया समर्पित किया। उसने भगवान से अपनी मनोकामनाएं मांगी और सच्चे श्रद्धा भाव से उनकी आराधना की।
कुछ सप्ताहों के बाद, सुमति की बालिकाएं अच्छे रिश्तों में बंधीं और सुख-शांति से विवाह हो गया। उसकी समस्या दूर हो गई और उसका जीवन समृद्धि से भर गया।
इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुधवार को व्रत करने से भगवान बुध की कृपा से हमारी समस्याएं हल हो सकती हैं। यह व्रत हमें संतुलन और शांति प्रदान करता है, और जीवन को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचाने में मदद करता है।

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