गणतंत्र दिवस की आयी सुबह,
जब भारत ने पहना गौरव का रोब,
साल १९५० में, विशेष तारीख थी,
संविधान की रूपरेखा में, नए सपने थे।
राष्ट्र ने बनाया समृद्धि का वादा,
गणतंत्र का बना नया पुराण,
हर भारतीय के दिल में, गर्व की धड़कन,
सामंजस्य और एकता, हर व्यक्ति की आस्था।
इस खास दिन में, हो रही है धूमधाम,
बच्चे, बूढ़े, हर वर्ग में जोर शोर,
संगीत और नृत्य से भरा हर कोना,
दिलों में बसी राष्ट्र भक्ति की भावना।
गणतंत्र दिवस की रौशनी में,
फूलों की बौछार सारे देश में,
स्वतंत्रता के इस पर्व पे, हम सभी,
संग गाएं, “जन गण मन” का मंत्र सभी।