मोह में जब डूबा दिल, बुराई से कहीं भी नहीं लगती,
और घृणा की छाया में, अच्छाई कहीं भी छिपती नहीं।
चेहरे पर मुस्कान, मोह की बात कह दे,
परंतु दिल का तारा, घृणा से चमक जाए।
मोह का संगीत, दिल को भटका दे,
लेकिन घृणा की धुन, अच्छाई में मिला दे।
बुराई की राहों में, न फिरे दिल यही नियती,
अच्छाई का रंग, घृणा की राहों में बिखे।
एकता की बातें करें, मोह को दूर भगाएं,
घृणा को छोड़ कर, अच्छाई की दिशा में बढ़ाएं।