1. सांगत सुलतान बिरादरी, एक रंग बिरंगा खेल।
बिना भाई-बंधु, सोचो यह, कैसे बनेगा मेल।
2. मन को करे जो आपना, संसार से वैर भूल।
बात चित की करे ना, होवे ना अपना फूल।
3. जगह जगह थोकर खाए, मानवता का सफर।
समझदार बने रहो, करो यह आदर।
4. समझावना से बढ़कर, शब्दों की अल्बता है।
मित्रता के सिलसिले में, बातचीत का अलग मजा है।
5. समाज में बदलाव की, बुनियाद रखो सजीव।
अपने विचारों को, बनाओ नए परिवर्तन का मीव।
6. अहंकार को त्यागो, भेदभाव को हटाओ।
सबको समर्थ जानो, विश्व में एक साथ बढ़ाओ।
7. लालच और लोभ को, दूर करो जीवन से।
सहानुभूति और समर्थन से, बनता है सहज संबंध।
8. विद्या की राह में, बाधा ना हो कभी।
शिक्षा को सबके द्वार में, बहुत खुला रखो सदा।
9. समाज में अच्छे कर्मों की, हो बढ़ती रौशनी।
दुर्भावनाओं को हटाओ, बनो सबके लिए मित्रशील।
10. सच्चे मित्रता की, हो सदा कदमी चाह।
भले ही बड़े हों या छोटे, बने रहो सबके साथ।