Certainly! Here’s a short Hindi poem inspired by the names you provided:
ताहिर, नूर, पंकज, मनीष, सौरभ,
काम के मैदान में, सब हैं बहादुर।
कार्यालय की दीवारों में हैं राज,
हर कदम पर रौंगतें, हर दिन है साज।
मनीष की हंसी, सौरभ का जोश,
एक-दूसरे के साथ, हैं सब में मिलानबॊष।
पंकज की मेहनत, नूर का रौंग,
ताहिर की चमक, हैं दिल को छू जाने वाली बातें।
इस कार्यालय की दुनिया, है सबसे अनूठी,
ताहिर, नूर, पंकज, मनीष, सौरभ, सब हैं यहाँ खास।