दुनिया

दुनिया में जो भी रहना चाहे,

वो बस सुकून में रहना चाहे।

 

जो ज़िन्दगी में सुकून पाना चाहे,

उसे अपने भीतर सरोवर बनाना चाहे।

 

अंगारे गिरें चाहे लाख समंदर में,

पानी को फिर भी ठंडा रहना चाहे।

 

ग़ुस्सा जलाकर बस राख कर देता है,

बुद्धि उसे बुझा कर अपनाना चाहे।

 

दुनिया की आंधियों में टिके वही,

जो मन को पर्वत-सा बनाना चाहे।

 

मक़ता

सौरभ को अब फ़क़्त यही तमन्ना है,

हर कोई मोहब्बत में रहना चाहे।