ग़ज़ल

ग़ज़ल
— Saurabh

वो लोग दूरियों के ही क़ाबिल हैं,
जो आपकी नज़दीकी के क़ाबिल नहीं हैं।

जो चाहत को बस खेल समझ बैठे,
वो दिल की गहराई के क़ाबिल नहीं हैं।

न मोहब्बत, न वफ़ा का मतलब समझें,
तो रिश्ता निभाने के क़ाबिल नहीं हैं।

हमने तो दिल से उन्हें अपनाया था,
पर वो इम्तिहान के क़ाबिल नहीं हैं।