दशरथ मांझी का संगर्ष
हथौड़े की आवाज़ बजी,
छेनी ने काम किया साजी।
बीस सालों तक, रात दिन,
पहाड़ की ओर बढ़ा कर मिटा दी बाधाएँ।
उनकी मेहनत में छुपी थी ताक़त,
पहाड़ को समतल करने का था उनका सपना।
अपने संघर्ष में, उन्होंने किया अदम्य साहसी,
माउंटेन मैन कहलाए, जब बने उनके ये कारनामे।
जन्मदिन पर उन्हें हम करते हैं नमन,
उनकी मेहनत से भरा है हर इंसान।
दुनिया को सिखाते रहे उनके संघर्ष,
दशरथ मांझी, हमारे दिल में बसे हैं अमर।
Good poem