लकवे के बाद सूक्ष्म व्यायाम का महत्व

लकवे के बाद सूक्ष्म व्यायाम का महत्व

लकवा (Stroke) आज की तारीख में सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन चुका है। अधिकांश मामलों में यह तब देखने को मिलता है जब व्यक्ति को शुगर (Diabetes) या बीपी (High Blood Pressure) जैसी समस्याएँ होती हैं। समय रहते ध्यान न देने पर यह गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए जागरूकता और सावधानी बेहद ज़रूरी है।

क्यों ज़रूरी हैं सूक्ष्म व्यायाम?

लकवे के बाद शरीर के अलग-अलग हिस्सों की गति और ताक़त कम हो जाती है। ऐसे में सूक्ष्म व्यायाम (Micro Exercises) करने से —

जकड़े हुए अंगों में लचीलापन आता है।

खून का संचार (Blood Circulation) सुधरता है।

नसों और मांसपेशियों की ताक़त बढ़ती है।

धीरे-धीरे चलने-फिरने की क्षमता वापस आती है।

मानसिक आत्मविश्वास (Confidence) भी बढ़ता है।

हर अंग के लिए अलग-अलग व्यायाम

1. हाथ और उंगलियों के लिए

उंगलियों को धीरे-धीरे मोड़ना और सीधा करना।

हथेली को बंद और खोलने की क्रिया करना।

2. पैरों और टखनों के लिए

पैरों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हिलाना।

टखनों को गोल-गोल घुमाना।

3. गर्दन और कंधों के लिए

गर्दन को धीरे-धीरे दाएँ-बाएँ घुमाना।

कंधों को ऊपर-नीचे करना।

4. चेहरे और जबड़े के लिए

मुस्कुराने और होंठों को फैलाने का अभ्यास।

धीरे-धीरे जबड़े को खोलना और बंद करना।

किन बातों का ध्यान रखें

व्यायाम धीरे-धीरे और नियमित करें।

डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लें।

अचानक ज़ोर लगाने से बचें।

शुगर और बीपी को नियंत्रित रखें।

निष्कर्ष

लकवे के बाद जीवन थम सा जाता है, लेकिन सूक्ष्म व्यायाम और नियमित देखभाल से बहुत कुछ बेहतर किया जा सकता है। यह न केवल शरीर को फिर से सक्रिय बनाता है बल्कि जीवन में आत्मविश्वास भी लौटाता है। इसलिए, समय रहते शुगर और बीपी पर नियंत्रण रखें और यदि कभी लकवे की स्थिति बने, तो सूक्ष्म व्यायाम को अपनी दिनचर्या में ज़रूर शामिल करें