ज़रूरतों का रिश्ता ✍️ – सौरभ

ज़रूरतों का रिश्ता ✍️ – सौरभ

 

लोग आते हैं पास तभी,

जब कोई स्वार्थ निभाना हो।

खामोश हो जाते हैं सब,

जब कुछ हाथ न आना हो।

 

सच तो यही है जीवन का,

रिश्ते अक्सर शर्तों से चलते हैं।

पर असली अपनापन वही,

जो बिना माँगे संग ढलते हैं। 🌹