सोच की दुनिया

सोच की दुनिया

 

ये दुनिया भी अजीब है यार,

जिससे चाह लिया, बस उसी पर निसार।

और जिससे एक बार नफ़रत कर ली,

फिर लाख अच्छाइयाँ भी उसे बदल न सकी।

 

न हाल देखती है, न सच्चाई सुनती है,

बस मन में जो ठान लिया, उसी में जीती है।

 

कभी किसी को फरिश्ता बना देती है,

तो कभी बेगुनाह को भी गुनहगार कर देती है।

 

इसलिए —

अपनी सच्चाई खुद जानो,

दुनिया के तराजू से खुद को मत तौलो।

 

 

 

By Saurabh