प्रातः Posted on by प्रातः की सुरमई धूप में, खोया है सपनों का संग। फूलों की मिसाल बोलती, सुबह की मिठास के रंग। चिट्ठी लिखी हवा की जुबान, सुनता है हर एक शैतान। चिरपिंग बर्ड्स की मेलोदी, बजती है सबको जागा देने।
Aapka tarana सूरज की किरणें छू रहीं ज़मीन, सौरभ, मकर संक्रांति आई है, खुशियाँ भर रहीं हैं सीन 0 सूरज की किरणें छू रहीं ज़मीन, सौरभ, मकर संक्रांति आई है, खुशियाँ भर रहीं हैं सीन। पतंग उड़ाएं दिल, आसमान को छू जाएं, रंगों से […]
Aapka tarana संबंधों का समरस 0 वह हमारी चिंता करते हैं, हम उनकी चिंता करते हैं। रिश्ते गहरे, प्रेम में भरपूर, हर पल में साथ, हम साथ चलते हैं। क्या करते […]
Aapka tarana जीवन की सच्चाई 0 खुश रहने का मतलब ये नहीं, कि हर पल हो उजियारा, दुख की काली रातों में भी, सूरज-सा जलता हो तारा। जीवन के हर […]