सोचता हूँ हर पल मैं क्या लिखूं,
शब्दों में कैसे दिल की बात बुनूं।
हर पंक्ति में तुम्हें खुश देखूं,
तुम्हारी मुस्कान ही मेरे मन का जूनून।
कभी तो ये सोचना भारी पड़ जाता,
कभी दिल की बातें समझ नहीं आतीं।
फिर भी कोशिश करता हूँ हर बार,
तुम्हें छू ले वो एहसास की बयार।
शब्द मेरे सादे हों या कुछ खास,
बस तुममें हो मेरी हर सांस।
चाहत है ये कि तुम सदा मुस्कुराओ,
मेरे लफ्ज़ों से अपने दिल को सजाओ।
तो लिखता हूँ दिल से, बस इतना जानो,
तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशियां मानो।