सपनों की राह

जीना है, तो नौकर मत बन,

अपनी मंज़िल खुद चुन, खुद चल बन।

नौकरी से सिर्फ़ सपने औरों के पूरे होते हैं,

ख्वाब अपने नहीं, किसी और के होते हैं।

 

छोटा काम भी हो, तो तू मालिक खुद बन,

किसी की सुनने से बेहतर, खुद को आज़माना सही है हर दम।

जो मिलेगा, तेरा ही होगा,

ना होगा तो भी, कोशिशें होंगी तेरी, दिल लगेगा तेरा ही।

 

शुरुआत में कम, पर चलते रह सवेरा आएगा,

मिट्टी से सोना, तू ही गढ़ पाएगा।

नौकरी में तो बस वक्त का खेल है,

कभी ज़्यादा, कभी कम, और फिर बस मेल है।

 

लेकिन जब तू अपना मालिक खुद बनेगा,

हर पल, हर घड़ी, तेरा ही नाम चलेगा।

सपने जिएँगे तेरे अपने, मंज़िलें तेरी होंगी,

तेरी मेहनत और लगन से, एक नई दुनिया रोशन होगी।

 

– सौरभ कुमार कुशवाहा