अवसादित जीवन की आवाज: एक ओजस्वी कविता” Posted on by जीना बिना लक्ष्य के, वह अजीवन सा आवास, साहित्य बिना प्रेम के, थमा रहे अध्यान का विलास। समाज जहाँ नारी को, छूने न पाए सम्मान का स्वाद, ग्रंथ जो हैं अंधकार में, मार्गदर्शन से रौंगत न बदले रात्रि का वाद।
Aapka tarana रेडियो की धूप 0 रेडियो की धूप, आँधी से भी तेज, बजती है संगीत, हर दिल को छू जाए। बिन बुलाये मेहमान, हर पल है सुनहरा, गाती है ये […]
Aapka tarana हरिद्वार 1 हरिद्वार, भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक प्रमुख धार्मिक और पिलग्रीम स्थल है। इसका नाम “हरि” और “द्वार” से आया है, जिसका अर्थ होता है “हरि […]
Aapka tarana आँसू भरी हैं ये जीवन की राहें 0 आँसू भरी हैं ये जीवन की राहें कोई उनसे कह दे हमें भूल जाएँ आँसू … वादे भुला दें कसम तोड़ दें वो – (2) […]