अवसादित जीवन की आवाज: एक ओजस्वी कविता” Posted on by जीना बिना लक्ष्य के, वह अजीवन सा आवास, साहित्य बिना प्रेम के, थमा रहे अध्यान का विलास। समाज जहाँ नारी को, छूने न पाए सम्मान का स्वाद, ग्रंथ जो हैं अंधकार में, मार्गदर्शन से रौंगत न बदले रात्रि का वाद।
Aapka tarana ठंड कड़का 0 ठंड कड़का, हवा में बर्फीली सी छाई, गरम चाय की कहानी, हर दिल को बहुत भाई। सर्दी की रातों में, कोयले की राह बताएं, दिल […]
Aapka tarana कीमत का एहसास: समय, सेहत, संबंध 0 समय, सेहत, संबंध बिना किसी के नहीं, जब साथ हैं, तब कोई कीमत नहीं। लेकिन खोने पर जब होता है एहसास, तब हर किसी को […]