सूरज की किरणें छू रहीं ज़मीन, सौरभ, मकर संक्रांति आई है, खुशियाँ भर रहीं हैं सीन

सूरज की किरणें छू रहीं ज़मीन,
सौरभ, मकर संक्रांति आई है, खुशियाँ भर रहीं हैं सीन।
पतंग उड़ाएं दिल, आसमान को छू जाएं,
रंगों से भरी हैं, ये सारी कहानियाँ।
धूप में चमक, प्यार का इज़हार,
सौरभ, उड़ते हैं दिल, जैसे पतंग भी उड़ता है यहाँ।
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ भेजी हैं हवाओं में,
ग़ज़ल के इस बंधन में, है प्रेम कहानी यहाँ।