ब्रह्मचर्य

1. “ब्रह्मचर्य से ही शक्ति और विवेक की प्राप्ति होती है।”
2. “इंद्रियों का निग्रह करना ही ब्रह्मचर्य का सार है, जिससे समृद्धि और साधना होती है।”
3. “काम को निग्रह करके ही मनुष्य अपने उद्दीपन की ऊँचाइयों को छू सकता है।”
4. “ब्रह्मचर्य में ही बुद्धि का उत्कृष्टता है, जो व्यक्ति को आत्मा के प्रति आत्म-नियंत्रण में मदद करता है।”
5. “ब्रह्मचर्य धर्म, शक्ति और संयम का स्रोत है, जो व्यक्ति को आत्मा की ऊँचाइयों की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।”