आयुष्मान कार्ड: सरकारी वादों का खेल

आयुष्मान कार्ड का नाटक है खास,

सरकार के वादों का, देखो ये रास।

कहे, “पाँच लाख तक इलाज मिलेगा,”

पर अस्पताल की लाइन में, कौन खड़ा रहेगा?

 

कागज पर योजनाएँ बड़ी-बड़ी बनती,

हकीकत में जनता फिर भी क्यों रोती?

आधार से लिंक, फिर पहचान का खेल,

कभी मशीन खराब, कभी सिस्टम फेल।

 

बाबू कहे, “आओ फिर से ट्राई करो,”

बीमार कहे, “पहले दवाई दो!”

सरकारी कागज़ी जहाज का ये हाल,

आयुष्मान कार्ड पर बस जले दिल के सवाल।

 

फ्री इलाज की बात बड़ी प्यारी,

पर अस्पताल में डॉक्टरों की है कमी भारी।

कहीं टेबल पर फाइलें हैं पड़ी,

कहीं बाबूजी की मर्जी अड़ी।

 

सरकार कहे, “स्वास्थ्य है महान,”

जनता कहे, “हम हैं परेशान।”

आयुष्मान कार्ड है, पर इलाज नहीं,

ये योजना भी

शायद हमारे लायक नहीं!