अटल पेंशन योजना का है बड़ा नाम,
सरकार कहे, “बुढ़ापे में ना हो कोई काम तमाम!”
रुपए बचाओ, पेंशन पाओ, यही है सरकार का ज्ञान,
पर किसे पता, पेंशन मिलेगी या फिर होगा नुकसान?
बैंक की लाइन में लगते दिन गुजरे,
बाबूजी कहें, “फॉर्म अभी अधूरा, फिर से भरते जाओ घिसे!”
योजना में जुड़ो और भूल जाओ सालों तक,
बुढ़ापे तक इंतजार, जैसे बैठे हों किसी दलदल में फंसकर।
सरकार बोले, “60 के बाद मिलेंगे हजारों,
पर तब तक खुद की मेहनत से चलाओ बाजारों!”
पेंशन का सपना दिखाए ऐसा प्यारा,
हकीकत में बस खेल हो जाए सारा।
बूढ़े हो गए इंतजार में, पेंशन का तो पता नहीं,
सरकारी दफ्तरों में फाइलों का ही पता चलता यहीं।
अटल पेंशन है, पर किस दिन आएगी,
शायद तब, जब जिंदगी भी आराम फरमाएगी!