बनारस की सुबह, जलेबी की मिठास 🍯🌤️
सुबह की पहली किरणें छू लें घाटों को,
घंटियों की आवाज़ें गूंजें बातों-बातों को।
हवा में घुली आरती की शुद्ध बयार,
बनारस की गलियों का है यह सच्चा प्यार।
कुल्हड़ की चाय, अखबार की महक,
सड़क किनारे जलेबी की वो सुनहरी झलक।
गरमा-गरम दही से जब वो मिल जाए,
जीवन का हर दुख मिठास में खो जाए।
नुक्कड़ों पर चर्चा, मुस्कानों के साथ,
हर मोड़ पे मिलते हैं रिश्तों के नए जज़्बात।
जैसे समय भी थम जाए कुछ पल को,
जब बनारस की सुबह बाँध ले अपने हल्के आँचल को।
यहाँ न कोई जल्दी, न भागती सांसें,
बस मीठी सी जलेबी, और रूहानी झलकें पासें।
बनारस की ये सुबह है कविता की तरह,
हर लफ़्ज़ में बसी है
एक मुस्कान की तरह।