वक़्त की मार

💔 वक़्त की मार 💔

✍🏻 By Saurabh

चुपचाप रो लिया मैंने रात भर 😢
क्योंकि दिन में हँसना जरूरी था हर पल पर… 🌞

दिल की दीवारें गिरती गईं धीरे-धीरे 🧱
और लोग कहते रहे — “क्या बात है तुझमें, बड़ा मजबूत है तू!” 🥀

कुछ बातें किसी से नहीं कहीं मैंने 🤐
क्योंकि समझने वाला कोई नहीं था मेरे पास 🫂

ख्वाबों को जलाकर रौशनी तो कर ली 🔥
पर उसकी गर्मी ने सीने को झुलसा दिया… 😔

अब मुस्कान भी नक़ली लगती है 😶‍🌫️
आँखों में जो सच्चाई थी, वो तो कब की मर चुकी है 😢

फिर भी हर रोज़ जीता हूँ उम्मीदों के सहारे 🌈
शायद किसी मोड़ पर… ज़िन्दगी फिर से मुस्कुरा दे 🙂❤️