शांत चित्त, सच्चा पथ

🕊️ शांत चित्त, सच्चा पथ

✍️ सौरभ की कलम से

अशांत मन भटकता रहता है,
उजाले में भी खो जाता है।
हर शोर उसे और उलझा दे,
हर राह उसे और भटका दे।

पर जहाँ चित्त शांत हो जाता है,
वहाँ अंधेरा भी दोस्त बन जाता है।
कोई दीप न हो, न कोई साया,
फिर भी मन सही रास्ता सुझाया।

शांति कोई जगह नहीं, एक स्थिति है,
जो भीतर से निकलती है — और रौशनी सी दिखती है।