ख्वाब अधूरे थे, पर अब जाग उठे हैं,
दिल में जोश है, पंख अब फैल चुके हैं।
राहें कठिन थीं, पर कदम अब बढ़ेंगे,
चुनौतियाँ बड़ी थीं, पर हम ना थमेंगे।
नालायक नहीं, खुद से कह दूं यही,
जो बीत गया, अब उसपे क्या रहना सही।
आगे का सफर, नई मंज़िलें बुला रहीं,
हौंसले की आग में अब दुनिया जला रहीं।
सोचने से ज्यादा अब करने का वक़्त है,
रुकना नहीं है, अब चलने का वक़्त है।
सपनों का भार अब हल्का किया है,
अपने लिए आसमान अब चुन लिया है।
जीना है अब जिद्द की तरह,
हर हार से सीखते, जीतें हम बेखबर।
आगे बढ़ो, अभी वक्त है तेरा,
नई रोशनी में रंग लो
ये बसेरा।
सौरभ