मर्यादा

मर्यादा है जीवन की मधुर सी धारा,*
*नहीं बंधन, बल्कि आत्मा का उजियारा।*
*जबरन की राहें छू लेती हैं तन को,*
*सकून की दूरी मन को देती है मधुर स्वन को।*

*स्वतंत्र चले वो, जो सीमाओं को गले,*
*मर्यादा में बस्ता है सच्चा सुख मिले।*
*नजदीकियां जब हों दिल से दिल तक,*
*तब जीवन बन जाता है प्रेम का पावन पथ।*