Aapka tarana महकती ज़िंदगी: एक कविता का सफर 0 आओ, जलाएं दिए इस कविता के संग, *फूंक मारकर हम दिए को बुझा सकते हैं,* *पर अगरबत्ती को नहीं।* शब्दों में छिपा है जीवन का […]
Aapka tarana जंगल खो रहे हैं” 0 “जंगल खो रहे हैं” जंगल खो रहे हैं, धरती के आंसू, वन्यजनों की दहाड़ में, सुना रहे हैं ध्वनि। हरियाली की छाँव में, थे जीवन […]