वापसी का सफर

वापसी का सफर

गलती की राहों में भटके जो कदम,

मन में छिपा है एक अनकहा संताप सनम।

स्वीकार कर लो, ना छुपाओ भूल,

सच की रोशनी बनाएगी जीवन धूल।

जितना लंबा हो सफर अंधेरों का,

उतना कठिन हो वीरानों का मेला।

पर रुक जाओ, थाम लो मन की डोर,

पश्चाताप बनाएगा जीवन का नया चोर।

गुनाहों का बोझ ना ढो सदा,

छोड़ दो वह जो बांधे मन का पता।

हर सुबह लाए एक नया अवसर,

मुक्ति का मार्ग, बनाए आत्मा सुंदर।

सफर चाहे जितना हो कठिन और दूर,

वापसी का रास्ता देता है भरपूर।

गलती स्वीकारो, मन को करो हल्का,

जीवन बनेगा फिर से एक सपनों का फलक।