नाग पंचमी की शुभ बेला

**नाग पंचमी की शुभ बेला**

 

सावन की पंचमी, सुहानी घड़ी आई,

नाग देवता की पूजा, मन में सजाई।

श्रद्धा के दीप जलाए, भक्ति की बाती,

नाग पंचमी की बेला, पवित्र और साती।

 

जंगल, पहाड़, सर्पों का है बसेरा,

प्रकृति के रक्षक, उनका अनघट घेरा।

दूध की धारा से, स्नान कराएँ हम,

पूजा की थाली सजा, अर्पित करें सुमन।

 

नहीं पिलाएँ दूध, ये भूल है पुरानी,

परंपरा तोड़े, समझें बात सयानी।

नाग देवता को, मन से करें प्रणाम,

जीव-जंतु की रक्षा, यही है सच्चा धाम।

 

सावन की हरियाली, बरस रही अमृत-धारा,

नाग पंचमी का पर्व, लाए खुशियों का न्यारा।

आओ मिलकर पूजें, सर्पों के इस देव को,

प्रकृति और जीवन का, करें सम्मान हम सब को।